स्टॉक मार्केट में वॉल्यूम का मतलब संख्या से होता है इसका मतलब यह होता है कि कोई कितनी बड़ी संख्या में किसी स्टॉक में खरीदारी कर रहा है.
स्टॉक में जितनी भी बड़ी मात्रा में खरीदारी होगी वॉल्यूम की संख्या उतनी ही ज्यादा बड़ी दिखाई पड़ेगी.
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what is volume Meaning in stock market with example in hindi
स्टॉक मार्केट में एक बहुत ही खास बात ध्यान देने वाली यह होती है कि अगर स्टॉक मार्केट में तेजी चल रही है. तब क्या वॉल्यूम बढ़ जाएगा तब वॉल्यूम बिल्कुल बढ़ेगा लेकिन यहां पर अगर मंदी भी चल रही होगी तब भी वॉल्यूम बढ़ेगा.
दोनों का वॉल्यूम का तरीका अलग होगा तेजी का वॉल्यूम ऊपर की तरफ होगा और मंदी का वॉल्यूम नीचे की तरफ होगा.
इसको एक उदाहरण से समझते हैं मान लेते हैं रितिका एक फार्मा कंपनी का स्टॉक खरीदती है और कुछ दिनों बाद इस स्टॉक में गिरावट शुरू हो जाती है गिरावट काफी बड़ी होती है और यह गिरावट मंदी वाली गिरावट कहलाती है.
इस गिरावट में जो वॉल्यूम बनेगा वह मंदी वाला वॉल्यूम बनेगा यानी कि बेयरिश वॉल्यूम।
ठीक उसी तरह से अगर स्टॉक ऊपर की तरफ बढ़ता है. तब उसमें जो वॉल्यूम बनता है तेजी वाला वॉल्यूम बनता है. Bullish volume
मार्केट में जितने शेयर बेचे जाते हैं उतने ही शेयर खरीदे जाते हैं जैसे इसको एक उदाहरण से समझते हैं मान लिए एक आईटी कंपनी का शेयर में 1 लाख शेयर बेचे गए और 1 लाख शेयर खरीदे गए तो उसमें जो टोटल ट्रेडिंग हुई वह कुल मिलाकर के 1 लाख शेयर की हुई ना की 2 लाख शेयर की.
what is the high volume in stock
किसी भी स्टॉक को एनालिसिस करने के लिए उसके वॉल्यूम को देखना जरूरी होता है. क्योंकि वॉल्यूम से आप स्टॉक में होने वाले बदलाव की भविष्यवाणी कर सकते हैं और यह पता लगा सकते हैं कि यह स्टॉक भविष्य में ऊपर जाएगा या फिर नीचे अगर इसका वॉल्यूम लगातार नीचे की तरफ बढ़ रहा है तब स्टॉक और नीचे गिर सकता है.
हाई वॉल्यूम स्टॉक पता करने के लिए आपको बहुत सारे लिक्विड और वोलेटाइल स्टॉक्स के बारे में जानकारी पता करनी होगी।
लिक्विड स्टॉक्स और वोलेटाइल स्टॉक्स कैसे आपको पैसा आसानी से बना सकते हैं इसके बारे में आप यहां पूरा पढ़ सकते हैं.Read here
liquid stocks kya hai| liquid volatile stocks for intraday| option trading
क्योंकि लिक्विड स्टॉक्स में ट्रेडिंग काफी ज्यादा होती है और लोग उसमें काफी ज्यादा रुचि लेते हैं ट्रेड करने के लिए और उसके प्राइस का मूवमेंट भी काफी तेज होता है.
इस वजह से आप ऐसे स्टॉक्स में वॉल्यूम का पुराना डाटा निकालकर यह पता लगा सकते हैं कि कहीं इसमें कोई भारी संख्या में खरीदारी तो नहीं हो रही है. लगातार खरीदारी हो रही है तो हो सकता है यह स्टॉक का प्राइस ऊपर की तरफ बढ़ सकता है.
स्टॉक की कीमत और वॉल्यूम को आपस में कैसे पहचाने।
लेकिन एक खास बात आपको ध्यान में रखनी होगी जिससे कि आप अंदाजा लगा सकते हैं या कह सकते हैं यह स्ट्रेटेजी है.
Stock market me volume kya kaam karta hai | volume ko kaise dekhte hai
वॉल्यूम से हम किसी भी स्टॉक के ट्रेडर के एक्शन उसके सेंटीमेंट को समझ सकते हैं मतलब ट्रेडर क्या करना चाह रहा है. लेकिन ध्यान देने वाली यह बात है कि बहुत ही छोटा-छोटा अगर वॉल्यूम आपको नजर आएगा तो इससे आप काफी हद तक अंदाजा नहीं लगा सकते।
स्टॉक के वॉल्यूम का अंदाजा लगाने के लिए आपको बड़ा-बड़ा वॉल्यूम नजर आना चाहिए।
शेयर बाजार में जब ज्यादा मात्रा में वॉल्यूम होता है तो प्राइस में उतार-चढ़ाव भी काफी तेजी से होता है.
Volume strategy kya hai option trading
अगर आप वॉल्यूम को देख करके स्ट्रेटेजी बनाना चाहते हैं तो बहुत ही सिंपल एक वॉल्यूम स्ट्रेटेजी है.
आपको कम से कम किसी भी स्टॉक जिसको आप ट्रैक कर रहे हैं लगातार और वह स्टॉक आपके रडार पर होना चाहिए.
आप उस स्टॉक के चार्ट को कम से कम 3 महीने पुराना लेना होगा आपको
आपको यह देखना होगा कि कहां-कहां पर वॉल्यूम ज्यादा बढ़ रहा है
volume and stock price relation
और कुछ पॉइंट्स को भी दिमाग में रखना होगा यही पॉइंट्स आपके काम के साबित होंगे।
अगर वॉल्यूम बढ़ रहा है लेकिन स्टॉक की कीमत या प्राइस नहीं बढ़ रही है.
तब स्टॉक में गिरावट आ सकती है
अगर वॉल्यूम बढ़ रहा है और साथ ही साथ स्टॉक की कीमत भी बढ़ रही है तब स्टॉक में बढ़त दिखाई पड़ सकती है.
अगर कीमत बढ़ रही है लेकिन वॉल्यूम नहीं बढ़ रहा है तब स्टॉक में गिरावटआ सकती है.
वॉल्यूम बढ़ रहा है और उसके साथ-साथ कीमत भी बढ़ रही है तब स्टॉक ऊपर की तरफ जा सकता है.
अगर वॉल्यूम नहीं बढ़ रहा है और कीमत ऊपर की तरफ बढ़ रही है तब स्टॉक में किसी भी दिन अचानक बड़ी गिरावट आ सकती है.
volume analysis in stock market
जब बाजार में FIIS foregin instutional investor बाजार में आते हैं और वह बहुत बड़े-बड़े आर्डर डालते हैं वह लाखों की संख्या में स्टॉक की qty खरीदते हैं तब उनके Volume इतने ज्यादा बड़े हो जाते हैं कि आप चार्ट में उनका डाटा बड़ी आसानी से पहचान सकते हैं कि यह खरीदारी या बिकवाली FIIS के द्वारा करी गई है.
आप इस डाटा को ध्यान में रखकर भी स्ट्रेटेजी की बना सकते हैं
इसलिए वॉल्यूम को समझना और वॉल्यूम और स्टॉक की प्राइस कीमत को समझना दोनों के बीच में संबंध को समझना काफी ज्यादा जरूरी हो जाता है चाहे आप
ट्रेडिंग करते हैं या इन्वेस्टिंग करते हैं दोनों के लिए यह काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है वॉल्यूम
हमेशा चार्ट में आप डाटा के रूप में ही देख सकते हैं लेकिन एक बात ध्यान देने वाली यह है कि आपको जो डाटा देखना है वह हाल का ही डाटा होना चाहिए बहुत ही ज्यादा पुराना डाटा किसी काम का नहीं है जैसे कि आप 5 साल या 10 साल पुराना डाटा देखते हैं तब वह आपके काम का नहीं है.
डाटा जितना भी नया होगा उससे उतने ही अच्छे और ठोस नतीजे आप निकाल सकते हैं लेकिन एक बात ध्यान देने वाली यह है कि सिर्फ वॉल्यूम देख कर के ही आप ठोस नतीजे नहीं निकाल सकते हैं वॉल्यूम के साथ-साथ हमें प्राइस और एंट्री और एग्जिट सिग्नल देखना जरूरी हो जाता है.
आप इससे यह पता लगा सकते हैं कि कहां पर हमें एंट्री लेनी है और कहां पर हमें एग्जिट करना है.
इस बात से यह पता लगता है की वॉल्यूम एक ट्रेंड है और ट्रेंड के साथ ही हमें ट्रेड करना होता है अगर आप इस तरह के वॉल्यूम को अच्छे से देख पाते हैं तब यह आपके लिए काफी अच्छा हो जाता है मार्केट में ट्रेड करना