दोस्तों शॉर्ट सेल को समझने के लिए हमें थोड़ा सा स्टॉक के बारे में दो बातें जान लेते हैं.
जैसा कि आपको पता है किसी भी शेयर में सौदा तब होता है जब उसको खरीदा और बेचा जाता है.
अगर आप किसी शेयर को खरीदते हैं. तब वह सीधे किसी बेचने वाले के जरिए खरीद लिया जाता है.
लेकिन अगर मैं आपसे यह कहूं कि आप किसी भी शेयर को बेचना चाह रहे हैं तब आप उसे कैसे बेचेंगे.
आप यही सोचेंगे कि बेचने से पहले वह शेयर हमारे पास होना चाहिए मतलब पहले से खरीदा हुआ होना चाहिए.
लेकिन अगर मैं आपसे यह कहूं कि आपके पास अगर शेयर नहीं है तब भी आप उसको Sell कर सकते हैं और उसमें से कुछ मुनाफा कमा सकते हैं तब आप इसे क्या बोलेंगे.
जी हां आप इसे बोलेंगे शॉर्ट सेलिंग या सोर्टिंग Shorting
short selling में किसी भी शेयर को सीधे बेचा जाता है खरीदने से पहले और अगर इसमें मुनाफा हो रहा है तब आपको मुनाफा काट लिया जाता है और अगर नुकसान है तो आपको नुकसान काटना पड़ता है.
चलिए इसको एक रोजमर्रा की जिंदगी से एक उदाहरण समझते हैं कि मान लिया सलमान एक मकान ‘X’ कीमत पर खरीदा है और उसको थोड़े समय के बाद ‘y’ कीमत पर बेच देता है अब X और y के बीच जो भी कीमतों का अंतर होगा वह उसका मुनाफा होगा।
लेकिन क्या ऐसा आप यह सोच सकते हैं कि सलमान मकान खरीदने से पहले ही उसको बेच दे.
आप बोलेंगे कि यह नहीं हो सकता। जी हां यह बात बिल्कुल सही है रोजमर्रा की जिंदगी में सोर्टिंग Shorting जैसी कोई चीज नहीं होती है.
अब हम अगर बाजार के संदर्भ में देखें तो ऐसी कौन सी चीज होती है बाजार में जो एक ट्रेडर को प्रोत्साहित करती है शार्ट करने के लिए.
इसको स्टॉक के उदाहरण से समझते हैं मान लिया।
आशी एक ट्रेडर है और वह एचसीएल टेक्नोलॉजी का स्टॉक लगातार ट्रैक कर रही है.
उसे लगता है कि कुछ समय के बाद इस HCL टेक्नोलॉजी के स्टॉक में थोड़ा बहुत Correction आ सकता है क्योंकि ये स्टॉक अपने हाई प्राइस पर चल रहा है. या उसको यह लगता है कि इसका रिजल्ट आने वाला है और रिजल्ट में कुछ खराबी आ सकती है तब स्टॉक में मुनाफावसूली होने की पूरी संभावना नजर आती है.
इसलिए अगले दिन जब बाजार खुलता है तब वह स्टॉक को बेच देती है.
लेकिन यहां पर उसके पास कोई भी एच.सी.एल का पहले से खरीदा हुआ शेयर नहीं है.
इसलिए वह इक्विटी में इसको शॉर्ट सेल करती है.
मान लेते हैं अभी इस शेयर का भाव 1380 रुपए पर चल रहा है.
अगर यह भाव 1380 रुपए के नीचे जितना भी जाएगा उसको उतना फायदा होगा।
और यह भाव अगर 1380 के ऊपर निकल गया जैसे 1400 के पास तब उसको वहां पर नुकसान होने लगेगा।
साथ ही साथ यहां पर एक ध्यान देने वाली बात यह है कि उसको अपना सौदा बाजार खत्म होने से पहले काटना होगा
Square off करना जरूरी है नहीं तो एक्सचेंज की तरफ से उसको एक बड़ी पेनल्टी लग सकती है.
What is the short-selling penalty by exchange?
एक्सचेंज शॉर्ट सेल करने पर पेनाल्टी क्यों लगाता है.
Spot Market में सबसे बड़ी रुकावट यह है कि आप इसको इंट्राडे में ही कर सकते हैं.
आपको अपनी पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करना पड़ेगा बाजार बंद होने से पहले।
आप इस पोजीशन को कैरी फॉरवर्ड नहीं कर सकते या अगले दिन के लिए नहीं ले जा सकते हैं. ऐसा क्यों होता है एक्सचेंज इसको इस नजरिए से क्यों देखता है.
शार्ट सेल जब आप करते हैं तब आप किसी शेयर को पहले बेच रहे होते हैं. आप जिस एक्सचेंज का इस्तेमाल करते हैं उस एक्सचेंज में बैकेंड पर यह सूचना जाती है कि आपने यह शेयर बेचा है.
लेकिन एक्सचेंज उस समय यह नहीं जान पाता है कि आपने जो बेचा है वह आपके डिमैट अकाउंट में पहले से ही है या नहीं है.
एक्सचेंज को यह लगता है कि आपने जो शेयर बेचा है आप उसकी शाम तक डिलीवरी करेंगे। ऐसा करने के लिए आपको अपने डीमेट में वह शेयर रहने चाहिए। और जब बाजार बंद होता है तब एक्सचेंज को यह पता लगता है कि आपने जो शेयर बेचा है वह आपके डीमेट अकाउंट में है ही नहीं। तब वह इस पर 20% की पेनल्टी लगाता है और आप का शेयर ऑक्शन मार्केट में डाला जाता है.
इसको एक उदाहरण से समझते हैं. मान लिया आपने एक स्टॉक को शार्ट किया है और आप उसकी गिरती हुई कीमत का फायदा उठाना चाह रहे हैं.
मान लेते हैं कि आप के शॉट करने के बाद उस शेयर की कीमत नहीं गिरती है तब आप नुकसान में जाने लगेंगे और यह सोचेंगे कि इसको अगले दिन के लिए कैरी फॉरवर्ड कर लिया जाए.
लेकिन बाजार बंद होने के बाद एक्सचेंज यह जान जाएगा कि आपके पास यह शेयर पहले से ही नहीं है. क्योंकि शॉर्ट सेल इंट्राडे में ब्रोकर किसी और के शेयर आपको उधार देता है सिर्फ उस दिन के लिए. मार्केट बंद होने से पहले तक के लिए आपको वह उधार देता है.
जब मार्केट बंद हो जाता है तब यह बात एक्सचेंज को पता लग जाती है और वहां पर आप डिफॉल्ट हो जाते हैं ऐसी स्थिति में आपको शॉर्ट डिलीवरी का सामना करना पड़ता है.
ऐसी स्थिति को Short Delivary बोलते हैं.
शार्ट डिलीवरी जैसी स्थिति आ जाती है तब एक्सचेंज ऐसी स्थिति का सामना करने के लिए ऑक्शन (नीलामी) करता है आपके शेयर की आपको कम से कम 20% की पेनल्टी चुकानी पड़ सकती है.
इसलिए आप कभी भी अपने सौदे को 3:00 बजे से पहले ही काट दे. ऐसी स्थिति पैदा होने ही ना दें.
How to Short sell future and option | how to short nifty and Bank nifty | short stock option
अब आप सोच रहे होंगे की एक्सचेंज ने ऐसे नियम बनाए हैं कि हम ट्रेड ही नहीं कर सकते हैं. तो आप गलत हैं यहां पर एक्सचेंज ने आपको मौका दिया है कि आप डायरेक्ट किसी शेयर में शॉर्ट ना करके आप उसके फ्यूचर और ऑप्शन को शॉट कर सकते हैं और उसको जब तक कि उसकी एक्सपायरी डेट ना आ जाए तब तक आप उसको अपने पास होल्ड करके रख सकते हैं.
फ्यूचर में कब तक होल्ड करके रख सकते हैं और ऑप्शन में
किसी भी स्टॉक का फ्यूचर हो या इसी इंडेक्स का फ्यूचर जैसे निफ़्टी या बैंक निफ़्टी इसकी एक्सपायरी 3 महीने तक की होती है कम से कम 3 महीने तक इसको रख सकते हैं.
Stock option shorting loss| naked shorting
क्या होगा अगर आपने कोई स्टॉक का ऑप्शन को शार्ट किया है और वह बढ़ने लगे तब आपको नुकसान होने लगेगा तब उस स्थिति में आपको कितना नुकसान हो सकता है.
इसको एक उदाहरण की तरह समझते हैं हम यहां पर फिर से HCL Technoligies का उदाहरण लेते हैं मान लेते हैं कि आप ने अभी इस कंपनी का ऑप्शन Short किया और आप ने इसको अपने पास होल्ड करके भी रखा है और यह आपका ऑप्शन लॉस में जा रहा है लगातार क्योंकि इसका प्राइस ऊपर की तरफ बढ़ रहा है.
इस स्थिति में यह होगा कि जैसे इस की एक्सपायरी अगर नजदीक आती है तब आपको इसका मार्जिन आपका ब्रोकर बढ़ा देगा क्योंकि इसमें आपको काफी ज्यादा नुकसान हो रहा होगा.
इस स्थिति से बचने के लिए आपको हमेशा अगर आप 1 Month का ऑप्शन लेते हैं तब आपको 15 Days दिनों के अंदर ही अपना सौदा काट कर के निकल जाना चाहिए.
क्योंकि अगर नहीं निकल पाते हैं तब यहाँ पर मार्जिन आपको काफी ज्यादा बढ़ने लगता है.
अगर मार्जिन काफी ज्यादा बढ़ने लगे तब क्या करना होगा?
ऐसी स्थिति में अगर आप अपनी पोजीशन को नहीं काट पाते हैं तब आपका ब्रोकर आपसे आपके ऑप्शन के बदले आपको Physical Delivary stocks खरीदने के लिए बोलेगा. क्योंकि आप का सौदा की तारीख नजदीक आ चुकी है और आपको नुकसान हो रहा है.
जब आप यह ऑप्शन के बदले stocks खरीदेंगे. और साथ ही साथ आपका ब्रोकर आपसे 20% Penality fees भी मांगेगा.
ताकि यह शेयर्स उस व्यक्ति को वापस किए जा सके जिसके बदले में आपने उसका ऑप्शन शार्ट किया है. और उस ऑप्शन से आपको नुकसान हो रहा है.
Stocks option upper circuit in short selling
क्या होगा अगर आपने जो स्टॉक का ऑप्शन शॉर्ट किया है. और आप उस को नुकसान में काटना चाहते हैं लेकिन स्टाफ के ऑप्शन में लगातार ऊपर की तरफ सर्किट लग रहे हैं जिसकी वजह से आप अपनी पोजीशन को काट नहीं पा रहे हैं.
ऐसी स्थिति में ब्रोकर आपके शेयर को पहले Physical Delivary में करवाएगा फिर वह आपके शेयर को ऑक्शन नीलामी में डालेगा वहां पर जो भी बायर मिलेगा जिस रेट पर वह Ask Price or Bid Price मिलेगा वहां पर ब्रोकर आपके शेयर को बेचेगा. और आपसे पेनल्टी भी लेगा.
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इस तरह की स्थिति से बचने के लिए आपको हमेशा अपने स्टॉक ऑप्शन को 15 दिन से पहले ही काटने की कोशिश करनी चाहिए.
अगर आप नए हैं मार्केट में तब मेरी यह सलाह रहेगी कि आप स्टॉक ऑप्शंस से बिल्कुल दूर रहें इस के चक्कर में ना पड़े इससे अच्छा आप बैंक निफ़्टी ऑप्शन और निफ़्टी ऑप्शन में काम करें.
How to Short sell in currency | forex trading | usdinr
अगर आप करेंसी में शॉर्ट सेल करते हैं तब यह एक अच्छा जरिया बन सकता है क्योंकि यहां पर आपको नुकसान भी कम हो सकता है और आपका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि यहां पर मार्जिन भी कम लगता है.
क्योंकि यहां पर करेंसी में ट्रेडिंग हमेशा Pair trading होती है जैसे कि आप एक करेंसी को शार्ट कर रहे हैं तो दूसरी करेंसी में लॉन्ग हो रहे हैं.
करेंसी में pair trading जैसे USD/INR , GBP/INR
हमेशा जोड़ों में ट्रेडिंग होती है. इसको ऐसे समझते हैं जैसे मान लिया आप US Dollor में आप लॉन्ग हैं. तब आप INR को short कर सकते हैं इससे आपका काफी अच्छा Headge postion बन जाता है और आपको नुकसान होने की संभावना भी कम हो जाती है.
मार्जिन भी कम लगता है करेंसी ट्रेडिंग में
शॉर्ट सेल के क्या नुकसान हो सकते हैं| शॉर्ट सेलिंग के नुकसान
शॉर्ट सेलिंग से बहुत ही बड़े नुकसान हो सकते हैं क्योंकि अगर स्टॉक की कीमत बढ़ जाती है तब आपको काफी बड़ा नुकसान होने की संभावना भी बढ़ जाती है
शॉर्ट सेल में हमेशा uncertanity बनी रहती है इसलिए डर भी बना रहता है
कंपनी का शेयर कीमत को सीधे प्रभावित करता है जिससे काफी ज्यादा उतार-चढ़ाव की संभावना बढ़ जाती है
इसमें बहुत ज्यादा फ्रॉड और धोखाधड़ी की भी संभावना बढ़ जाती है क्योंकि कुछ लोग कभी-कभी किसी स्टॉक को शॉर्ट करने लगते हैं जिससे उसकी कीमत तेजी से गिरने लगती है.
वैसे अगर सीधे शब्दों में बताएं तो शॉर्ट सेलिंग एक खतरनाक ट्रेडिंग है इसको हमेशा अपने रिक्स से बचाने के लिए जैसे Headge करने के उद्देश्य से करना चाहिए. नहीं तो इससे दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए.